उमेश चतुर्वेदी
छत्तीसगढ़ के कोरबा ने क्या इतिहास रचने की दिशा
में एक कदम बढ़ा दिया है..यह सवाल इन दिनों दो तरह से लोगों के जेहन में घूम रहा
है। एक तो यह कि क्या भारतीय जनता पार्टी में शीर्ष स्तर पर मचा सत्ता का संघर्ष
खत्म हो गया है ? क्या पार्टी के शीर्ष पुरूष और अयोध्या आंदोलन के प्रमुख
सेनानी अपने मौजूदा रूख पर कायम रहेंगे। भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी परिधि के
बाहर इस सवाल के अलावा भी चिंताएं और उम्मीदें हैं। मोदी विरोधियों, जिनमें
ज्यादातर बाहरी और गैर भारतीय जनता पार्टी वाले दल हैं, उन्हें सांप्रदायिकता और
दंगों के दागी के खिलाफ कोरबा की कहानी में भी नई रणनीति दिखती है। क्योंकि कोरबा
से अयोध्या आंदोलन के महारथी ने अपने शिष्य को सीधे तौर पर समर्थन नहीं दिया।
लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात में बिजली की उपलब्धता और विकास की प्रशंसा की।