Wednesday, April 23, 2008
तो ये है बलिया की शिक्षा व्यवस्था !
बलिया को लोग बागी का उदाहरण देते हैं। उन्नीस सौ बयालिस की क्रांति और आजादी का ढिंढोरा पीटते -पीटते 66 साल बीत गए। लेकिन बलिया में भ्रष्टाचार इन दिनों जोरों पर है। पहले तो यहां के इंटर कालेजों के मैनेजरों और प्रिंसिपलों ने घूस लेकर लोगों को अध्यापक बनाने का वादा कर दिया। जिले के नामी-गिरामी नेता और पूर्व मंत्रियों के कब्जे वाले कॉलेजों और स्कूलों तक में ऐसा हुआ। अध्यापक तैनात भी कर दिए गए। उन्हें तनख्वाह दी भी गई- लेकिन ये तनख्वाह पहले से काम कर रहे अध्यापकों की भविष्यनिधि से गैरकानूनी तरीके से निकाल कर दी गई। जब इसका भंडाफोड़ हुआ तो गोरखधंधा रूका। अवैध तरीके से काम कर रहे सैकड़ों प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापक फिर से बेरोजगार हो गए और उनकी घूस दी हुई रकम भी डूब गई। लेकिन घूस लेने वाले अब भी अपनी चमकदार टाटा सूमो या बलेरो से बलिया का चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं। अब ऩई बात ये है कि प्राइमरी स्कूलों में भी ऐसा ही कुछ गोरखधंधा चल रहा है। सूत्रों से पता चला है कि जिले भर में कम से कम पंद्रह प्राइमरी स्कूल अध्यापक बिना काम किए वेतन ले रहे हैं। कोई दिल्ली में पढ़ाई या रिसर्च कर रहा है तो कोई महिला अध्यापक अपने पति के साथ दूसरे राज्य में है। लेकिन उन लोगों का वेतन हर महीने मिल रहा है। सूत्रों का कहना है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ्तर की मिली भगत से ये सारा गोरखधंधा जारी है। कहा तो ये जा रहा है कि इसके लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को हर महीने पगार की एक निश्चित रकम दी जाती है।
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ये हाल बलिया ही नहीं पूरे यूपी का है।
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