प्रेस विज्ञप्ति
नई दिल्ली,7 जून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुहास राव हिरेमठ ने आज सेवा भारती की शिक्षिकाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। नगरीय सेवा बस्तियों में सर्वेक्षण को करने वाली सेवा भारती की शिक्षिकाओं को आर्य समाज भवन डोरीवालन में सम्मान व प्रशस्ति पत्र दे कर प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर श्री सुहास राव हिरेमठ ने बताया कि जब दूसरों की पीड़ा देखते हैं तब मन के अन्दर एक संवेदना जागृत होती है। गरीबी क्या होती है यह वनवासी क्षेत्रों और सेवा बस्तियों में जाकर पता चलती है, उसमें भी महिलाओं का जीवन ज्यादा कष्टकर होता है। पुरुष द्वारा सारी कमाई शराब में खर्च करने से उसे परिवार और आजीविका दोनों देखने पड़ते हैं। लेकिन कोई महिला किसी पुरुष को अपनी पीड़ा नहीं बताती। वह अपनी सहृदयी महिला को ही अपना दुःख और समस्या बताती है, इसलिए सेवा भारती की बहनें महिला अध्ययन का कार्य कर रही हैं। सेवा बस्तियों की महिलाओं को दैनिक जीवन की आवश्यकताओं से अधिक भूख प्रेम और सम्मान की भी होती है जिसकी पूर्ति सेवा भारती की कार्यकर्ता बहने कर रही हैं।
राष्ट्रीय सेवा भारती की सह सचिव रेनू पाठक ने बस्ती अध्ययन की भूमिका बताते हुए कहा कि जे.जे. क्लस्टर, स्लम बस्तियों में महिलाओं की वास्तविक स्थिति, उनके जीवनयापन का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सेवा भारती ने इन बस्तियों में एक व्यापक सर्वेक्षण किया है। महिला अध्ययन के इस सर्वेक्षण के दौरान एक ही समय पर 60 शहरों में 30 हजार फॉर्म भरवाए गए। इस अध्ययन की रिपोर्ट प्रमाणिक है, जो शोध छात्रों के साथ-साथ महिला कल्याण की सरकारी योजनाओं में भी यह अध्ययन उपयोगी सिद्ध होगा। इस सर्वेक्षण में पाया गया कि सेवा बस्तियों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति में बहुत अधिक सुधार की आवश्यकता है। सेवा भारती द्वारा इसमें पहल की गयी है, बस्तियों में 24 घंटे शौचालयों को खुला रखने,पानी के टैंकर, कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए बाल वाटिकाएँ, पढने के लिए लाइब्रेरी, बालिकाओं को पढ़ने के लिए प्रोत्साहन, नशा मुक्ति अभियान, रोजगार, स्वच्छता, नि:शुल्क क्लीनिक जैसे सेवा कार्य इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अध्ययन के अनुसार आरम्भ हो गए हैं।
इस मौके पर महिला अध्ययन करने वाली शिक्षिकाओं ने सेवा बस्तियों में अपने अनुभव साझे किया। उन्होंने बताया कि आजीविका अर्जित करने के कारण दोपहर में महिलाएं नहीं मिल पाती थीं, उनके बच्चे सड़कों पर इधर-उधर घूमते मिले। पानी, शौचालय, रोजगार आदि की समस्या के कारण उनका जीवन बहुत कष्टदाई है। इस मौके पर दिल्ली सेवा भारती के उपाध्यक्ष संजय जी तथा बढ़ी संख्या में सेवा भारती के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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