चुप्पी के पीछे क्या है?
उमेश चतुर्वेदी
उत्तराखंड में
कांग्रेस को सरकार में लौटे करीब एक महीने का वक्त बीत चुका है। लेकिन पार्टी की
आपसी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल
उठना लाजिमी है। इसकी वजह है जनवरी-फरवरी के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को
जोरदार जीत दिलाने के लिए की गई उनकी जी तोड़ मेहनत। यह सच है कि उनकी कोशिश के
नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे। लेकिन यह भी सच है कि उत्तर प्रदेश में
कांग्रेस अपनी सीटें बढ़ाने में कामयाब रही, उत्तराखंड में सरकार में लौटी। तो क्या
यह मान लिया जाय कि राहुल गांधी अपेक्षा के अनुरूप नतीजे नहीं मिलने से निराश हैं
और चुपचाप बैठ गए हैं। भरपूर मेहनत और जी तोड़ कोशिशों का नतीजा बेहतर नहीं आता तो
निराशा स्वाभाविक है। लेकिन यह भी सच है कि राजनीति की दुनिया में सक्रिय हस्तियां
देर तक निराशा के गर्त में नहीं डूबी रहतीं। फिर कांग्रेस कोई छोटी-मोटी पार्टी
नहीं है और राहुल गांधी उसके मामूली कार्यकर्ता भर नहीं है। तो क्या यह मान लिया
जाय कि पार्टी में ये चुप्पी कांग्रेस में तूफानी बदलाव के पहले के सन्नाटे जैसी
है।