सियासी हसरत के इजहार के निहितार्थ
उमेश चतुर्वेदी
अमेठी में प्रियंका
गांधी के पति राबर्ट वाड्रा ने जिस तरह जनता के बहाने अपनी महत्वाकांक्षाओं को
जाहिर किया है, उससे साफ है कि देश के पहले राजनीतिक परिवार का रिश्तेदार होने के
चलते उनके मन के किसी कोने में राजनीति में उतरने को लेकर दबी-ढकी आकांक्षा जरूर
है। राबर्ट वाड्रा का ये कहना कि अगर जनता ने चाहा तो वे राजनीति में आ सकते हैं.।
कांग्रेसी राजनीति के गलियारों में इसे पत्रकारों के सवालों के फौरी जवाब के तौर
पर बताकर टालने की कोशिशें तेज हो गई हैं। यह भी बताने की कोशिश हो रही है कि
राबर्ट वाड्रा की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। लेकिन इसे उनके सामान्य
बयान की तरह खारिज नहीं किया जा सकता। हालांकि सबसे पहले उनके बयान को उनकी पत्नी
प्रियंका गांधी ने ही खारिज किया। जैसा कि हर बार ऐसे बयानों में होता है कि पूरा दोष
मीडिया पर थोप दिया जाता है। प्रियंका ने भी कुछ ऐसा ही कहा। उन्होंने मीडिया को
जिम्मेदार ठहराते हुए कह दिया कि मीडिया ने उनसे सवाल पूछा और उसका उन्होंने जवाब
दे दिया। प्रियंका ने कहा- “लोग
मुझे राजनेता के तौर पर देखना चाहते हैं, लेकिन मेरा और मेरे पति का फिलहाल सक्रिय
राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। हम राहुल गांधी के मिशन उत्तर प्रदेश को
सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं।”
राबर्ट वाड्रा की
राजनीति में आने की कोई सचमुच कोई इच्छा है या नहीं, इसकी पड़ताल के पहले ये देखना
जरूरी है कि प्रियंका को लेकर आम कांग्रेसी क्या सोचते हैं।