जरूरी है बराबरी के आधार वाली बुनियादी शिक्षा
उमेश चतुर्वेदी
जब से शिक्षा का
अधिकार कानून लागू किया गया है, तभी से नामी –गिरामी पब्लिक और निजी स्कूलों ने इसकी काट खोजने की
कवायद जारी रखी है। शिक्षा के अधिकार कानून में निजी और पब्लिक स्कूलों में गरीब
बच्चों के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। निजी और पब्लिक स्कूलों को सबसे
ज्यादा परेशानी इसी प्रावधान से रही है। क्योंकि उनकी मोटी कमाई का एक बड़ा हिस्सा
इसके जरिए कम होता नजर आ रहा है भले ही उनके पाठ्यक्रमों में कृष्ण और सुदामा की
पौराणिक कथा दोस्ती की मिसाल के तौर पर शामिल हो, लेकिन हकीकत में वे कृष्ण और
सुदामा को साथ बैठाने और पढ़ाने की अवधारणा से ही पीछा छुड़ाने की कोशिश करते रहे
हैं।