मोहन
धारिया और टाइम की उम्मीदों पर कितना खरा उतरेंगे मोदी
उमेश चतुर्वेदी
गुजरात
के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को खबरों में रहना आता है। हासिल हुए मौकों को अपने
पक्ष में मोड़ने और प्रचारित करने में भी उन्हें महारत हासिल है। 2002 के गुजरात
दंगों के दाग़ की वजह से मीडिया और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के निशाने पर रहना मोदी की
नियति हो गई है। लेकिन इसके बावजूद मोदी का ये कमाल ही कहेंगे कि वो मीडिया को
अपने तईं इस्तेमाल कर लेते हैं और सारा मजमा लूट ले जाते हैं। गुजरात के विकास
कार्यों में जिस मुस्तैदी से वे जुटे हैं, उसके चलते अब उनके विरोधी भी मानने लगे
हैं कि उनका राजनीतिक दमखम 2014 के आम चुनावों में बतौर बीजेपी नेता दिख सकता है।
तभी तो कभी जनता पार्टी से दोहरी सदस्यता के नाम पर अलग होने वाले युवा तुर्क मोहन
धारिया भी ये कहने से खुद को रोक नहीं पाते कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो
उन्हें खुशी हुई।