उमेश चतुर्वेदी
राजस्थान
के एक छोटे से इलाके में कभी अछूत की तरह रहने वाली महिला के लिए यह सपने
के सच होने जैसा ही था, जब उसने ब्रिटेन के जाने-माने विद्वानों को लंदन की
यूनिवसिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ में ब्रिटिश एसोसिएशन आफ साउथ एशियन स्टडीज के
सालाना कांफ्रेंस में संबोधित किया है। यूनिवर्सिटी
की प्रेस रिलीज में इस घटना को याद करते हुए लिखा गया है कि दुनिया के
सबसे कमजोर और हाशिए के कुछ लोगों के अधिकार और पहचान की तरफ विश्वविद्यालय
के लोगों ने पूरा ध्यान दिया।
सेंट्रल
लंदन से करीब 130 किलोमीटर दूर स्थित समारोह में राजस्थान के अलवर जिले की
42 वर्षीय उषा चौमुर को ब्रिटिश अकादमिक विद्वानों के बीच बोलने के लिए
पिछली रात बुलाया गया था। इस मौके पर उषा ने ब्रिटिश विद्वानों को पूरे
आत्मविश्वास से ना सिर्फ संबोधित किया, बल्कि अपनी तरह जिंदगी गुजारने
वाली लाखों महिलाओं के विचार सामने रखे। जिन्हें आज भी अपने पहचान और मौलिक
अधिकारों के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है।