उमेश
चतुर्वेदी
(प्रथम प्रवक्ता में प्रकाशित)
2002 की फरवरी की बात है..महाराष्ट्र के
रत्नागिरि जिले में अरब सागर के किनारे स्थित
मशहूर गुप्त गणेश मंदिर और कोंकण रेलवे की कारबुज सुरंग के उपरी हिस्से को
देखकर जिला मुख्यालय लौटते वक्त रात के करीब दस बज रहे थे। वहां सड़कों के किनारे
लड़कियां बसों और टेंपों के इंतजार में बेफिक्र खड़ी थीं। दिल्ली में रहते वक्त
ऐसे दृश्य कम ही नजर आते हैं...लिहाजा इन पंक्तियों के लेखक के लिए धुर देहात के
बीच लड़कियों को इस तरह बेखौफ गाड़ी के इंतजार में रात को खड़ा देखना हैरत की बात
थी।